हरिहरपुरी के रोले
हरिहरपुरी के रोले
रचना करना नित्य, लेखनी चलती जाये।
कविता का उन्माद,हृदय में अब छा जाये।।
सुखद विचार-विमर्श, सदा करते रहना है।
मेल-जोल का भाव, सदा जन-जन भरना है।।
रच साहित्य महान, लिखो अति पावन कविता।
सबके मन को मोह,बहे शब्दों की सरिता।।
कर सबका उपचार,कलमकार बनकर बहो।
रखना मधुर विचार,मानव बनकर नित रहो।।
कलम शक्ति का ज्ञान,करा दो हर मानव को।
खिले गुलाबी पुष्प, भगाओ हर दानव को।।
सभी रसों का ज्ञान,कराये सबको लेखन।
रहे वर्तनी शुद्ध, व्याकरण बैठे जेहन।।
छंदों में दातव्य, भाव का नित आलम हो।
उत्तम वैश्विक मेल, सहज पावन "कालम" हो।।
Rajeev kumar jha
31-Jan-2023 12:14 PM
Nice
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अदिति झा
21-Jan-2023 10:35 PM
Nice 👍🏼
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